ता-अबद ख़ाली रहे या-रब दिलों में उस की जा
जो कोई लावे मिरे घर उस के आने की ख़बर
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सौगंद है हसरत मुझे एजाज़-ए-सुख़न की
है याद तुझ से मेरा वो शर्ह-ए-हाल देना
फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल
रहे है नक़्श मेरे चश्म-ओ-दिल पर यूँ तिरी सूरत
माख़ूज़ होगे शैख़-ए-रिया-कार रोज़-ए-हश्र
करे आशिक़ पे वो बेदाद जितना उस का जी चाहे
हम इश्क़ सिवा कम हैं किसी नाम से वाक़िफ़
भर के नज़र यार न देखा कभी
हर तरफ़ है उस से मेरे दिल के लग जाने में धूम
इश्क़ में ख़्वाब का ख़याल किसे
देखें तुझे न आवेंगे हम
हर घड़ी मत रूठ उस से फेर पल में मिल न जा