एक दिन देखने को आ जाते
ये हवस उम्र भर नहीं होती
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1029) Peoples Rate This
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्त
फिर शाम हुई
अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले
एक से एक जुनूँ का मारा इस बस्ती में रहता है
इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी
इक साल गया इक साल नया है आने को
दिल किस के तसव्वुर में जाने रातों को परेशाँ होता है
पीत करना तो हम से निभाना सजन हम ने पहले ही दिन था कहा ना सजन
हम किसी दर पे न ठिटके न कहीं दस्तक दी
ये बातें झूटी बातें हैं
दरवाज़ा खुला रखना
जंगल जंगल शौक़ से घूमो दश्त की सैर मुदाम करो