इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Gulzar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
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हम जंगल के जोगी हम को एक जगह आराम कहाँ
फ़र्ज़ करो
अपनी ज़बाँ से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग
जल्वा-नुमाई बेपरवाई हाँ यही रीत जहाँ की है
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
लब पर नाम किसी का भी हो
सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके
रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे
यूँही तो नहीं दश्त में पहुँचे यूँही तो नहीं जोग लिया
घूम रहा है पीत का प्यासा
कल हम ने सपना देखा है