काफ़िर को है बंदगी बुतों की ग़म-ख़्वार
मोमिन के लिए भी है ख़ुदा-ए-ग़फ़्फ़ार
सब सहल है ये व-लेक होना दुश्वार
आज़ादा ओ बे-नियाज़ ओ बेकस बे-कार
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(797) Peoples Rate This
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
जो साहिब-ए-मक्रमत थे और दानिश-मंद
चिड़िया के बच्चे
गर नेक दिली से कुछ भलाई की है
आया हूँ मैं जानिब-ए-अदम हस्ती से
अस्लाफ़ का हिस्सा था अगर नाम-ओ-नुमूद
तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर
जिस दर्जा हो मुश्किलात की तुग़्यानी
अल-हक़ कि नहीं है ग़ैर हरगिज़ मौजूद
ऐ बार-ए-ख़ुदा ये शोर-ओ-ग़ौग़ा क्या है
ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा