हर शय वही नहीं है जो परछाइयों में है

हर शय वही नहीं है जो परछाइयों में है

इस के सिवा कुछ और भी गहराइयों में है

आईना जिस से टूट के बे-आब हो गया

वो अक्स-ए-बे-नवा भी तमाशाइयों में है

फ़ुर्सत मिले तो मैं भी कोई मर्सिया लिखूँ

इक दश्त-ए-कर्बला मिरी तन्हाइयों में है

किस शहर में तलाश करें रिश्ता-ए-वफ़ा

सुनते तो हैं पुरानी शनासाइयों में है

दरिया के ज़ोर-ओ-शोर पे बातें हज़ार हों

पानी मगर वही है जो गहराइयों में है

घुल जाए शे'र में तो ज़मीं आसमाँ बने

वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल जो सच्चाइयों में है

बेकार उस को अहल-ए-वफ़ा में गिना गया

'नामी' कहाँ से आप के शैदाइयों में है

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In Hindi By Famous Poet Nami Ansari. is written by Nami Ansari. Complete Poem in Hindi by Nami Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.