ईधर से सेते जाओ और ऊधर से फटता जाए
ऐसे तरह के कपड़े को फिर सीजे भी नहीं
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
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देखा है कहीं गुल ने तुझे जिस की ख़ुशी से
जहाँ में जो कई गुल-बदन ख़ुश-नयन है
जो बात मनअ' की है उसे कहिए क्यूँ
जावे भी फिर आवे भी कई शक्ल से हर बार
तुझ तेग़ की निगह से मिरा कट गया है दिल
ये सारा क़ज़िया तो हम से है इस से तुम को क्या
जितना कि है इफ़रात तिरी कम-निगही का
नागिन है ज़ुल्फ़-ए-यार न ज़िन्हार देखना
साने' मिरा वो है कि हो कैसी ही चोब-ए-ख़ुश्क
पूछे कोई किसी को सो इम्कान ही नहीं
फ़स्ल-ए-गुल में हर घड़ी ये अब्र-ओ-बाराँ फिर कहाँ
बहुतों ने जिसे अर्श पे बे-जान में देखा