खींच कर ले जाएगा अंजान महवर की तरफ़

खींच कर ले जाएगा अंजान महवर की तरफ़

है बदन का रास्ता बाहर से अंदर की तरफ़

वो भी अपने साँस के सैलाब में है लापता

जो मुझे फैला गया मेरे ही मंज़र की तरफ़

अब ख़लाओं को समेटे हर तरफ़ हों गामज़न

आज है मेरा सफ़र अपने ही पैकर की तरफ़

कोई तो पानी की वीरानी को समझेगा कभी

देखता रहता हूँ अब मैं भी समुंदर की तरफ़

ज़ेहन की क़ब्रों में फिर से सूर गूँजा है 'रियाज़'

तंगी-ए-इज़हार चल इक और महशर की तरफ़

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In Hindi By Famous Poet Riyaz Latif. is written by Riyaz Latif. Complete Poem in Hindi by Riyaz Latif. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.