बचपन में तुझे याद किया था मैं ने
जब शेर का कब लफ़्ज़ सुना था मैं ने
इस पर नहीं मौक़ूफ़ रुबाई तुझ को
हर रोज़ ही तख़्ती पे लिखा था मैं ने
Rahat Indori
Allama Iqbal
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Gulzar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1512) Peoples Rate This
रहमत की कड़ी धूप में लेटूँ मौला
तख़्लीक़ के सक़्फ़-ओ-बाम पाटे जाएँ
साक़ी ने हमें साग़र-ए-जम बख़्शे हैं
गर अपनी सना आम नहीं दुनिया में
हम साँप पकड़ लेते हैं बीनों के बग़ैर
वो जिस को मोहब्बत की रविश कहते हैं
घर लौह का आबाद किया है ऐ दोस्त
फूलों की मिली बल्ख़ से थाली मुझ को
हाँ जुमला फ़नून-ए-ज़िंदगानी सीखे
हाँ मफ़्ती-ए-शहर ने फ़तवे भेजे
मेहराब की परछाइयाँ तड़पाती हैं
लिक्खे हैं फ़क़ीर ने जो शाही अल्फ़ाज़