आशिक़ के लिए रंज-ओ-अलम रक्खे हैं
आशिक़ के लिए रंज-ओ-अलम रक्खे हैं
शाहों के लिए ताज-ओ-अलम रक्खे हैं
''मेरे लिए क्या चीज़ है'' मैं ने पूछा
आई ये सदा लौह-ओ-क़लम रक्खे हैं
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आशिक़ के लिए रंज-ओ-अलम रक्खे हैं
शाहों के लिए ताज-ओ-अलम रक्खे हैं
''मेरे लिए क्या चीज़ है'' मैं ने पूछा
आई ये सदा लौह-ओ-क़लम रक्खे हैं
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