इक बोलती सूरत का नमूना क्या है
चलती हुई मूरत का नमूना क्या है
मरमर की ये मेहराब मनारे गुम्बद
तू फ़न्न-ए-इमारत का नमूना क्या है
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Rahat Indori
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
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शागिर्द किसी का हूँ न उस्ताद हूँ मैं
साक़ी ने हमें साग़र-ए-जम बख़्शे हैं
वो जिस को मोहब्बत की रविश कहते हैं
मैं बुग़्ज़ के अम्बार से क्या लाता हूँ
घर लौह का आबाद किया है ऐ दोस्त
गर अपनी सना आम नहीं दुनिया में
हाँ मफ़्ती-ए-शहर ने फ़तवे भेजे
तहसीन के तोहफ़े मुझे 'साइब' देता
रहमत की कड़ी धूप में लेटूँ मौला
ख़ुद अपने तरीक़े में क़लंदर मैं हूँ
फूलों की मिली बल्ख़ से थाली मुझ को
हाँ जुमला फ़नून-ए-ज़िंदगानी सीखे