तिरी गाली मुझ दिल को प्यारी लगे

तिरी गाली मुझ दिल को प्यारी लगे

दुआ मेरी तुझ मन में भारी लगे

तदी क़द्र-ए-आशिक़ की बूझे सजन

किसी साथ अगर तुझ कूँ यारी लगे

भुला देवे वो ऐश-ओ-आराम सब

जिसे ज़ुल्फ़ सीं बे-क़रारी लगे

नहीं तुझ सा और शोख़ ऐ मन हिरन

तिरी बात दिल को न्यारी लगे

भवाँ तेरी शमशीर ज़ुल्फ़ाँ कमंद

पलक तेरी जैसे कटारी लगे

हुए सर्व बाज़ार दामन का देख

अगर गर्द-ए-दामन कनारी लगे

न जानूँ तू साक़ी था किस बज़्म का

नयन तेरी मुझ कूँ ख़ुमारी लगे

वही क़द्र 'फ़ाएज़' की जाने बहुत

जिसे इश्क़ का ज़ख़्म कारी लगे

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In Hindi By Famous Poet Sadruddin Mohammad Faez. is written by Sadruddin Mohammad Faez. Complete Poem in Hindi by Sadruddin Mohammad Faez. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.