हम ज़ात से हम कलामी और फ़िराक़

सच्चे ख़्वाब और झूटी आँखें

अंधे रस्तों की हमराही

अंजान तहय्युर का पानी

और इस्तिफ़्हामी लहजों की

दो-धारी तलवारें

तेरी क़ुर्ब-सराए से

ये ज़ाद-ए-सफ़र साथ लिया है

रुख़्सत के रुख़्सारों पर

आँसू बन कर गिरते

लम्हे के हाथों में

अपने होने का आईना दे

मैं उस काँच बदन से

बे-नाम अंदेशों का

ज़ंगार खुरच डालूँ

और उजले पानी में देख सकूँ

हिज्र-नगर के तपते सूरज के नीचे

उम्र सफ़र का सहरा कितने कोस पड़ा है

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In Hindi By Famous Poet Saeed Ahmad. is written by Saeed Ahmad. Complete Poem in Hindi by Saeed Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.