मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
तेरे लिक्खे को निभाया क्या ख़ता की मैं ने
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कोई पास आया सवेरे सवेरे
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
नहीं है ये तिरा कूचा नहीं है
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
इतना तो हुआ ऐ दिल इक शख़्स के जाने से
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की