ग़म-गुसारो बहुत उदास हूँ मैं
आज बहला सको तो आ जाओ
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छुप छुप के अब न देख वफ़ा के मक़ाम से
कितना बेकार तमन्ना का सफ़र होता है
आए थे उन के साथ नज़ारे चले गए
बोले वो कुछ ऐसी बे-रुख़ी से
हमें ख़बर है वो मेहमान एक रात का है
शोर दिन को नहीं सोने देता
आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के ब'अद
फूल इस ख़ाक-दाँ के हम भी हैं
जब तसव्वुर में न पाएँगे तुम्हें
जी नहीं आप से क्या मुझ को शिकायत होगी
क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ
तिरी नज़र से ज़माने बदलते रहते हैं