आब-ए-हैराँ पर किसी का अक्स जैसे जम गया
आँख में बस एक लम्हे के लिए ठहरा ख़याल
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आसेब-सिफ़त ये मिरी तन्हाई अजब है
सफ़र की शाम सितारा नसीब का जागा
समुंदर की ख़ुश्बू
तीसरी बारिश से पहले
शाएरी झूट सही इश्क़ फ़साना ही सही
कब इस से क़ब्ल नज़र में गुल-ए-मलाल खिला
ये रस्ता
इक उम्र की देर
दिल माँगे है मौसम फिर उम्मीदों का
हम तो यूँ उलझे कि भूले आप ही अपना ख़याल