तेरे आगे ले चुका ख़ुसरव लब-ए-शीरीं से काम
तू अबस सर फोड़ता है कोहकन पत्थर से आज
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अदल से कर सल्तनत ऐ दिल तू तन के मुल्क में
मुद्दत से आरज़ू है ख़ुदा वो घड़ी करे
बस नहीं चलता जो उस दम उन के ऊपर गर पड़े
ख़ुम-ख़ाना मय-कशों ने किया इस क़दर तही
जिस के मुँह की उतर गई लोई
जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
असीरों का नहीं कुछ शोर-ओ-ग़ुल ये आज ज़िंदाँ में
दिल मिरा आज यार में है गा
फ़ानूस तन में देख ले रौशन हैं जूँ चराग़
एहसान तिरा दिल मिरा क्या याद करेगा
है कभू दिल में कभू जी में कभू आँखों के बीच
टूटे दिल को बना दिखावे