काले बादल आएँगे
आ कर मेंह बरसाएँगे
मेंह में लोग नहाएँगे
मेंह बरसेगा टप टप टप
साज़ बजेगा टप टप टप
हम नाचेंगे गाएँगे
बुलबुल गाना गाएगी
कोयल राग सुनाएगी
मेंडक भी टर्राएँगे
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उठाते हैं मज़े जौर-ओ-सितम के
तिरे फ़िराक़ में ज़हराब-ए-ग़म पिए जाऊँ
सब सब्र-ओ-शकेब-ओ-होश खो देता हूँ
हर ख़िज़ाँ ग़ारत-गर-ए-चमन ही सही
ग़म-नसीबों को किसी ने तो पुकारा होगा
ज़बाँ करती है दिल की तर्जुमानी देखते जाओ
देखो शब-ए-हिज्र की दराज़ी देखो
शादाँ हूँ कि ग़मनाक पिए जाता हूँ
मिलते गए हैं मोड़ नए हर मक़ाम पर
जान दे कर वफ़ा में नाम किया
वो वुसअतें थीं दिल में जो चाहा बना लिया
पूछता क्या है हम-नशीं मुझ से