अब नए रुख़ से हक़ाएक़ को उलट कर देखो

अब नए रुख़ से हक़ाएक़ को उलट कर देखो

जिन पे चलते रहे उन राहों से कट कर देखो

एक आवाज़ बुलाती है पलट कर देखो

दूर तक कोई नहीं कितना भी हट कर देखो

ये जो आवाज़ें हैं पत्थर का बना देती हैं

घर से निकले हो तो पीछे न पलट कर देखो

दिल में चिंगारी किसी दुख की दबी हो शायद

देखो इस राख की परतों को उलट कर देखो

कौन आएगा किसे फ़ुर्सत-ए-ग़म-ख़्वारी है

आज ख़ुद अपनी ही बाँहों में सिमट कर देखो

छोड़ जाते हैं मकीं अपने बदन की ख़ुशबू

घर की दीवारों से इक बार लिपट कर देखो

कुछ तपिश और सिवा होती है दिल की 'तारिक़'

अब तो जिस याद के पहलू में सिमट कर देखो

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In Hindi By Famous Poet Tariq Butt. is written by Tariq Butt. Complete Poem in Hindi by Tariq Butt. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.