मैं और तू

रोज़ जब धूप पहाड़ों से उतरने लगती

कोई घटता हुआ बढ़ता हुआ बेकल साया

एक दीवार से कहता कि मिरे साथ चलो

और ज़ंजीर-ए-रिफ़ाक़त से गुरेज़ाँ दीवार

अपने पिंदार के नश्शे में सदा इस्तादा

ख़्वाहिश-ए-हमदम-ए-देरीना पे हँस देती थी

कौन दीवार किसी साए के हम-राह चली

कौन दीवार हमेशा मगर इस्तादा रही

वक़्त दीवार का साथी है न साए का रफ़ीक़

और अब संग-ओ-गिल-ओ-ख़िश्त के मलबे के तले

उसी दीवार का पिंदार है रेज़ा रेज़ा

धूप निकली है मगर जाने कहाँ है साया

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Main Aur Tu In Hindi By Famous Poet Ahmad Faraz. Main Aur Tu is written by Ahmad Faraz. Complete Poem Main Aur Tu in Hindi by Ahmad Faraz. Download free Main Aur Tu Poem for Youth in PDF. Main Aur Tu is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Aur Tu with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.