चमन सूँ दिल के आलम को ख़बर नहिं
हमेशा देखते ख़ाकी बदन को
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रक़ीब-ए-नफ़्स का मुख मोड़ता रह
दया साक़ी लबालब मुझ को साग़र
इश्क़ के कूचे में जब जाता है दिल करने को सैर
ग़फ़लत में सोया अब तिलक फिर होवेगा होश्यार कब
दिलबर को दिलबरी सूँ मना यार कर रखूँ
कीता कहीं पुकार ऐ ग़ाफ़िल बिया बिया
आया है मगर इश्क़ में दिलदार हमारा
ला-मकाँ लग आशिक़ाँ के इश्क़ का पर्वाज़ है
अजब कुछ इश्क़ की ख़ुश-तर है वादी
तालाब इरादे का भरे पल में लबालब
यार जब नैनों में आया हू-ब-हू
'बहरी' पछाने नीं उसे गुल के सो वो दम-साज़ थे