जाने किस रंग से रूठेगी तबीअत उस की
जाने किस ढंग से अब उस को मनाना होगा
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जुदा होगी कसक दिल से न उस की
दुनिया भी अजब क़ाफ़िला-ए-तिश्ना-लबाँ है
घर
मोटे शीशों की नाक पे ऐनक
दोस्तो इंग्लिश ज़रूरी है हमारे वास्ते
दुआ
भूले से हो गई है अगरचे ये उस से बात
पलकों के सितारे भी उड़ा ले गई 'अनवर'
मेरी पहली नज़्म
जो चोट भी लगी है वो पहली से बढ़ के थी
यही तो दोस्तो ले दे के मेरा बिज़नेस है
आप कराएँ हम से बीमा छोड़ें सब अंदेशों को