मुझे तो ये भी फ़रेब-ए-हवास लगता है

मुझे तो ये भी फ़रेब-ए-हवास लगता है

वगर्ना कौन अँधेरों में साथ चलता है

बिखर चुकी जरस-ए-कारवान-ए-गुल की सदा

अब उस के बा'द तो वामांदगी का वक़्फ़ा है

जो देखिए तो सभी कारवाँ में शामिल हैं

जो सोचिए तो सफ़र में हर एक तन्हा है

किसे ख़बर कि ये दूरी का भेद किया शय है

क़दम उठाओ तो रस्ता भी साथ चलता है

उभर रहे हैं जो मंज़र फ़रेब-ए-मंज़र हैं

जो खुल रहा है दरीचा तो वहम अपना है

तलब तो कर किसे मालूम कामगार भी हो

ज़माना ऐब-ओ-हुनर अब कहाँ परखता है

तिरी सदा है कि ज़ुल्मत में रौशनी की लकीर

तिरा बदन है कि नग़्मों का दिल धड़कता है

उदासियों को न छूने दे फूल सा पैकर

अभी कुछ और तुझे अहल-ए-ग़म पे हँसना है

मिरी वफ़ा पे भी ऐ दोस्त ए'तिबार न कर

मुझे भी तेरी तरह सब से प्यार करना है

ये पूछना है कि ग़ैरों से किया मिला तुझ को

तिरी जफ़ा की शिकायत तो कौन करता है

चमन चमन है अगर गुल-फ़िशाँ तो क्या कीजे

हमें तो अपने ख़राबे को ही पलटना है

ये एक चाप जो बरसों में सुन रहा हूँ मैं

कोई तो है जो यहाँ आ के लूट जाता है

(963) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mujhe To Ye Bhi Fareb-e-hawas Lagta Hai In Hindi By Famous Poet Aslam Ansari. Mujhe To Ye Bhi Fareb-e-hawas Lagta Hai is written by Aslam Ansari. Complete Poem Mujhe To Ye Bhi Fareb-e-hawas Lagta Hai in Hindi by Aslam Ansari. Download free Mujhe To Ye Bhi Fareb-e-hawas Lagta Hai Poem for Youth in PDF. Mujhe To Ye Bhi Fareb-e-hawas Lagta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Mujhe To Ye Bhi Fareb-e-hawas Lagta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.