जाने वाले को कहाँ रोक सका है कोई
तुम चले हो तो कोई रोकने वाला भी नहीं
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3389) Peoples Rate This
अब और चलने का इस दिल में हौसला ही न था
फ़क़त हर्फ़-ए-तमन्ना क्या है
ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल
कुछ तो ग़म-ख़ाना-ए-हस्ती में उजाला होता
मैं ने रोका भी नहीं और वो ठहरा भी नहीं
हम को पहचान कि ऐ बज़म-ए-चमन-ज़ार-ए-वजूद
लरज़ लरज़ के दिल-ए-ना-तवाँ ठहर ही न जाए
मय-शिकस्ता-दिली ऐ हरीफ़-ए-ज़ौक़-ए-नुमू
जिसे दरपेश जुदाई हो उसे क्या मालूम
जू-ए-नग़्मात पे तस्वीर सी लर्ज़ां देखी
बुझी है आतिश-ए-रंग-ए-बहार आहिस्ता आहिस्ता
वो रंग उड़े हैं कुछ अब के बरस बहारों के