तअ'ल्लुक़ तर्क तो कर लें सभी से
भले लगते हैं कुछ नुक़सान लेकिन
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(815) Peoples Rate This
हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन
मिले अब के तो रोए टूट कर हम
अब के ताबीर मसअला न रहे
कम न होगी ये सरगिरानी क्या
बारिशों में अब के याद आए बहुत
हादसात अब के सफ़र में नए ढब से आए
अपना बिगड़ा हुआ बनाव लिए
आइने में है फिर वही सूरत
शाम उतरी है फिर अहाते में
हवस शामिल है थोड़ी सी दुआ में
बअ'द मुद्दत ये जिला किस के हुनर ने बख़्शी
समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है