तुझ में और मुझ में तअल्लुक़ है वही
है जो रिश्ता साज़ और मिज़राब में
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
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Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Wasi Shah
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विसाल
क्या क्या लोग ख़ुशी से अपनी बिकने पर तय्यार हुए
अबदियत
पता नहीं वो कौन था
फ़ासला
एक ख़्वाहिश
ना-रसा
क़र्ज़
बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया
अज़ल-ता-अबद
कहते कहते कुछ बदल देता है क्यूँ बातों का रुख़
घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं