अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
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कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें
प्यार की नई दस्तक दिल पे फिर सुनाई दी
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
दिन में परियों की कोई कहानी न सुन
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब तक निगार-ए-दाश्त का सीना दुखा न था
मेरा शैतान मर गया शायद
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
मुझे लगता है दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं