बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
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वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
बड़े ताजिरों की सताई हुई
मिरी ज़िंदगी भी मिरी नहीं ये हज़ार ख़ानों में बट गई
जी बहुत चाहता है सच बोलें
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
मेरे सीने पर वो सर रक्खे हुए सोता रहा
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
ये एक पेड़ है आ इस से मिल के रो लें हम
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर