बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला
Jaun Eliya
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2275) Peoples Rate This
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर
मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
पहला सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं