निर्णय Poetry

सुल्तान अख़्तर पटना के नाम

रज़ा नक़वी वाही

कोई शिकवा तो ज़ेर-ए-लब होगा

ए जी जोश

यूँ तो मुसहफ़ भी उठाए गए क़समें भी मगर

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

मेरे गिर्या से न आज़ार उठाने से हुआ

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

अपने होने का हर इक लम्हा पता देती हुई

ज़िया फ़ारूक़ी

न होगा हश्र महशर में बपा क्या

ज़ेबा

हक़ीक़तों को फ़साना नहीं बनाती मैं

ज़हरा क़रार

हक़ीक़तों को फ़साना नहीं बनाती मैं

ज़हरा क़रार

मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया

ज़फर इमाम

निगाह-ए-नाज़ का हासिल है ए'तिबार मुझे

यज़दानी जालंधरी

जिस सम्त की हवा है उसी सम्त चल पड़ें

यासमीन हमीद

हम ने किसी को अहद-ए-वफ़ा से रिहा किया

यासमीन हमीद

कैसे हों ख़्वाब आँख में कैसा ख़याल दिल में हो

यासमीन हबीब

मुझ को उतार हर्फ़ में जान-ए-ग़ज़ल बना मुझे

यासमीन हबीब

ग़ालिब और मीरज़ा 'यगाना' का

यगाना चंगेज़ी

क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई

यगाना चंगेज़ी

चले चलो जहाँ ले जाए वलवला दिल का

यगाना चंगेज़ी

कोई सूरत से गर सफ़ा हो

वज़ीर अली सबा लखनवी

बे-ताबी-ए-दिल ने ज़ार-पा कर

वज़ीर अली सबा लखनवी

ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है

वसीम बरेलवी

मेरे ग़म को जो अपना बताते रहे

वसीम बरेलवी

रात भर तुम न जागते रहियो

वक़ास बलूच

हालात से फ़रार की क्या जुस्तुजू करें

वामिक़ जौनपुरी

हाल-ए-दिल ऐ बुतो ख़ुदा जाने

वाजिद अली शाह अख़्तर

शफ़्फ़ाफियाँ

वहीद अहमद

क़ुर्ब-ए-मंज़िल टूट जाए हौसला अच्छा नहीं

वफ़ा सिद्दीक़ी

करना है कार-ए-ख़ैर तो फिर सर न देखना

विश्मा ख़ान विश्मा

मुमकिन नहीं है अपने को रुस्वा वफ़ा करे

वफ़ा बराही

जो नहीं मुमकिन कभी मुमकिन वो होना चाहिए

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

वक़्त कर देगा फ़ैसला इस का

तौक़ीर अब्बास

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