मुमकिन नहीं है अपने को रुस्वा वफ़ा करे

मुमकिन नहीं है अपने को रुस्वा वफ़ा करे

दुनिया-ए-बे-सबात की ख़ातिर दुआ करे

नूर-ए-वजूद और अगर हौसला करे

शम-ए-हयात जल के भी कुछ लौ दिया करे

मर मर के कोई कब तलक आख़िर जिया करे

क्यूँ हर नफ़स से ज़ीस्त के ता'ने सुना करे

जब कोशिश-ए-तमाम भी रह जाए ना-तमाम

ऐ हासिल-ए-हयात बता कोई क्या करे

जो ग़म नसीब-ए-यार हो ख़ुद अपनी ज़ीस्त पर

कब तक निगाह-ए-नाज़ का वो आसरा करे

है आलम-ए-वजूद पे छाया हुआ जुमूद

ऐ काश इंक़लाब कोई फ़ैसला करे

अब आरज़ू यही है दम-ए-नज़्अ' ऐ 'वफ़ा'

ग़ैर-अज़-ख़ुदा न याद रहे कुछ ख़ुदा करे

(774) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Vafa Barahi. is written by Vafa Barahi. Complete Poem in Hindi by Vafa Barahi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.