एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला
जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
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मैं कब तन्हा हुआ था याद होगा
न जी भर के देखा न कुछ बात की
ख़ून पत्तों पे जमा हो जैसे
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
हम दिल्ली भी हो आए हैं लाहौर भी घूमे
ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
जी बहुत चाहता है सच बोलें
प्यार की नई दस्तक दिल पे फिर सुनाई दी
गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है
नाम पानी पे लिखने से क्या फ़ाएदा