तौबा Poetry

तू ने वो सोज़ दिया है कि इलाही तौबा

मौसम-ए-गुल है बादल छाए खनक रहे हैं पैमाने

कल जो ज़िक्र-ए-जाम-ओ-मीना आ गया

तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँ

ज़ुबैर अली ताबिश

रग-ए-एहसास में नश्तर टूटा

ज़िया फ़तेहाबादी

दस्त-ए-तलब दराज़ ज़ियादा न कर सके

ज़ैन रामिश

हुस्न की गर्मी-ए-बाज़ार इलाही तौबा

ज़हीर देहलवी

हम-नशीं उन के तरफ़-दार बने बैठे हैं

ज़हीर देहलवी

ऐ मेहरबाँ है गर यही सूरत निबाह की

ज़हीर देहलवी

कभी दुआ तो कभी बद-दुआ से लड़ते हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

बताऊँ मैं तुम्हें आँखों में आँसू या लहू क्या है

यूनुस ग़ाज़ी

नहीं मा'लूम अब की साल मय-ख़ाने पे क्या गुज़रा

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

कशिश-ए-लखनऊ अरे तौबा

यगाना चंगेज़ी

अगर अपनी चश्म-ए-नम पर मुझे इख़्तियार होता

यगाना चंगेज़ी

क़दम यूँ बे-ख़तर हो कर न मय-ख़ाने में रख देना

वासिफ़ देहलवी

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

वसीम ख़ैराबादी

उन की चश्म-ए-मस्त में पोशीदा इक मय-ख़ाना था

वक़ार बिजनोरी

मुदावा

वामिक़ जौनपुरी

अपना एजाज़ दिखा दे साक़ी

वामिक़ जौनपुरी

मय-कदे में मस्त हैं और शोर उन का हाव-हू

वलीउल्लाह मुहिब

अश्क-बारी का मिरी आँखों ने ये बाँधा है झाड़

वलीउल्लाह मुहिब

हुए हैं गुम जिस की जुस्तुजू में उसी की हम जुस्तुजू करेंगे

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

फ़सील-ए-रेग पर इतना भरोसा कर लिया तुम ने

वली मदनी

घटाएँ ऊदी ऊदी मै-कदा बर-दोश-ए-फ़स्ल-ए-गुल

वहशी कानपुरी

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

उनवान चिश्ती

जौन-एलिया से आख़री मुलाक़ात

तारिक़ क़मर

दिल के भूले हुए अफ़्साने बहुत याद आए

तनवीर अहमद अल्वी

बज़्म-ए-जाँ फिर निगह-ए-तौबा-शिकन माँगे है

तनवीर अहमद अल्वी

तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ

ताबिश कानपुरी

मह-ओ-पर्वीं तह-ए-कमंद रहे

ताबिश देहलवी

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