रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
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कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में
ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने