बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा
ख़ुशी नहीं तो उदासी से भर गए होते
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सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम
बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
अज़्मतें सब तिरी ख़ुदाई की
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मेरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर