भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
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लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
नाम पानी पे लिखने से क्या फ़ाएदा
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
रात का इंतिज़ार कौन करे
मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
वो चेहरा किताबी रहा सामने
मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें