चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
Habib Jalib
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1783) Peoples Rate This
वो सूरत गर्द-ए-ग़म में छुप गई हो
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
पहला सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
सोए कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोए थे
महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
मिरी ग़ज़ल की तरह उस की भी हुकूमत है
वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके