दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे
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दिल में इक तस्वीर छुपी थी आन बसी है आँखों में
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
अगर यक़ीं नहीं आता तो आज़माए मुझे
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी है