हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी है
हम को क्या मालूम किसी को कैसे चाहा जाता है
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हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
मैं तुम को भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए
सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी
जी बहुत चाहता है सच बोलें
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना
मेरे सीने पर वो सर रक्खे हुए सोता रहा
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके
तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं