मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1056) Peoples Rate This
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
ख़ानदानी रिश्तों में अक्सर रक़ाबत है बहुत
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
दादा बड़े भोले थे सब से यही कहते थे
पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है
हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है