मेरा शैतान मर गया शायद
मेरे सीने पे सो रहा है कोई
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इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
जी बहुत चाहता है सच बोलें
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे