अहसन तक़्वीम

बुस्तान-ए-वफ़ा दहर में आबाद है हम से

दिन-रात ज़माने को ख़ुदा याद है हम से

तारीख़-ए-जुनूँ ख़ून से की हम ने निगारिश

आफ़ाक़ हैं हर मसनद-ए-इरशाद है हम से

रौशन किया ज़ुल्मात में क़िंदील-ए-हुनर को

सहरा में चमन नूर का आबाद है हम से

हम जन्नत-ए-परवेज़ के हैं हुस्न-ए-तफ़ाख़ुर

शीरीं की तलब तेशा-ए-फ़र्हाद है हम से

साँचे में ग़म-ओ-दर्द के इंसान को ढाला

शहकार-ए-जहाँ-साज़ भी ईजाद है हम से

ख़्वाबीदा शबिस्ताँ में अज़ाँ हम ने पुकारी

ईमान-सरा दहर का आबाद है हम से

हम शहर-ए-तफल्सुफ़ में हैं तदरीस की तनवीर

शमशीर ब-कफ़ बाज़ू-ए-फ़ौलाद है हम से

ता'मीर किया तेशा-ए-फ़न से चमन-ए-दहर

तन्क़ीद-ए-हक़-आसार भी ईजाद है हम से

मे'मार-ए-यक़ीं-साज़ हैं दरवेश के आदाब

बाक़ी अभी तालीम-ए-ख़ुदा-दाद है हम से

इख़्लास के मोती से भरा दामन-ए-अग़्यार

इक़्लीम-ए-जहाँ में अद्ल-ओ-राद है हम से

ऐवान-ए-ज़र-ओ-सीम में महशर हुआ बरपा

ख़ाइफ़ हमा-तन लश्कर-ए-शद्दाद है हम से

माहौल-ए-ज़माना है अलमनाक-ओ-जिगर-दोज़

क़ाएम वले कुछ रहमत-ए-जव्वाद है हम से

सर-बाज़ी-ए-पैहम से है गुलज़ार मुरत्तब

सर-चश्मा-ए-अनवार की बुनियाद है हम से

हम अहसन-ए-तक़्वीम के हैं बोलती तफ़्सीर

रंगीन-ए-दिल-ए-गेती की रूदाद है हम से

बख़्शी है ग़ुलामों को भी अहरार की जुरअत

दुनिया का गिरफ़्तार भी आज़ाद है हम से

हम मिट गए दुनिया से तो दुनिया नहीं होगी

हर ज़र्रा है रौशन तो जहाँ शाद है हम से

इल्हाद की ज़ुल्मत से ज़माने को निकाला

अस्लाफ़ की महफ़िल अभी आबाद है हम से

सर-मस्ती-ए-किरदार से रख़्शंदा है आफ़ाक़

महफ़ूज़ अभी मख़्ज़न-ए-अज्दाद है हम से

तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का सबक़ हम ने पढ़ाया

हर हुस्न-ए-जहाँ-साज़ की ईजाद है हम से

'बेबाक' कहाँ गोश-बर-आवाज़ ज़माना

कुछ मिल्लत-ए-मासूम की फ़रियाद है हम से

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