तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझाने ऐ संग दिल
कोई आब-ज़न-रफ़ीक़ ब-जुज़ चश्म-ए-तर नहीं
Allama Iqbal
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(649) Peoples Rate This
दिल में ख़याल-ए-यार है जासूस की नमत
आतिश-ए-इश्क़ सूँ जो जलता है
मुझ साथ सैर-ए-बाग़ कूँ ऐ नौ-बहार चल
उस शकर-लब का मैं ख़याली हूँ
अगर वो गुल-बदन मुझ पास हो जावे तो क्या होवे
तेरी अँखियाँ के तसव्वुर में सदा मस्ताना हूँ
यक क़दम राह-ए-दोस्त है 'दाऊद'
पिव बिना दिल मिरा उदासी है
हर किताब-ए-सोहबत-ए-रंगीं के मअ'नी देख कर
मस्त हूँ मस्त हूँ ख़राब ख़राब
ख़िर्क़ा-पोशी में ख़ुद-नुमाई है
देखना है पिया की ज़ुल्फ़-ए-दराज़