औरत को चाहिए कि अदालत का रुख़ करे
जब आदमी को सिर्फ़ ख़ुदा का ख़याल हो
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Gulzar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1295) Peoples Rate This
मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो
कहीं गोली लिखा है और कहीं मार
अल्लामा-'इक़बाल' को शिकवा
अदीब-ओ-शायर-ओ-फ़नकार बोते हैं जो शजर
कराची का क़ब्रिस्तान
शोर से बच्चों के घबराते हैं घर पर और हम
ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए
'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो
अजब अख़बार लिक्खा जा रहा है
अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त
स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज