जो मरा है हादसे में मिरा उस से क्या था रिश्ता
ये सड़क जो ख़ूँ में तर है मुझे क्यूँ पुकारती है
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अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है
तुझ को मंज़ूर नहीं मुझ को है अब भी मंज़ूर
घर की मुश्किल कोई हल चाहती है
याद
ख़िज़ाँ में चीनी चाय की दावत
मिरा रोता बच्चा बहलता था जिस से
चौथी का जोड़ा
इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए
अब के रूठे तो मनाने नहीं आया कोई
मैं कहाँ आया हूँ लाए हैं तिरी महफ़िल में
या तो तारीख़ की अज़्मत से लिपट कर सो जा