अपने साए से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Rahat Indori
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2023) Peoples Rate This
ख़ाना-ब-दोश
कोई अटका हुआ है पल शायद
पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
सहमा सहमा डरा सा रहता है
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
हम तो कितनों को मह-जबीं कहते
शाम से आज साँस भारी है
फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी