अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
पीले पत्ते तलाश करती है
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2316) Peoples Rate This
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
ग़ालिब
बारिश होती है तो पानी को भी लग जाते हैं पाँव
हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है
वो जो शाएर था
आदतन तुम ने कर दिए वादे
दस्तक
कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
समय
एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था