बिस्मिल सईदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बिस्मिल सईदी
नाम | बिस्मिल सईदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bismil Saeedi |
जन्म की तारीख | 1902 |
मौत की तिथि | 1977 |
ज़माना-साज़ियों से मैं हमेशा दूर रहता हैं
तुम जब आते हो तो जाने के लिए आते हो
ठोकर किसी पत्थर से अगर खाई है मैं ने
सुकूँ नसीब हुआ हो कभी जो तेरे बग़ैर
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते
रो रहा हूँ आज मैं सारे जहाँ के सामने
ना-उम्मीदी है बुरी चीज़ मगर
ना-उमीदी है बुरी चीज़ मगर
मोहब्बत में ख़ुदा जाने हुईं रुस्वाइयाँ किस से
मेरे दिल को भी पड़ा रहने दो
किया तबाह तो दिल्ली ने भी बहुत 'बिस्मिल'
किसी के सितम इस क़दर याद आए
ख़ुश्बू को फैलने का बहुत शौक़ है मगर
काबे में मुसलमान को कह देते हैं काफ़िर
इश्क़ भी है किस क़दर बर-ख़ुद-ग़लत
हुस्न भी कम्बख़्त कब ख़ाली है सोज़-ए-इश्क़ से
दोहराई जा सकेगी न अब दास्तान-ए-इश्क़
दो दिन में हो गया है ये आलम कि जिस तरह
वही होती है रहबर जो तमन्ना दिल में होती है
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते
रह-रव-ए-राह-ए-मोहब्बत कौन सी मंज़िल में है
कौन समझे इश्क़ की दुश्वारियाँ
कब से उलझ रहे हैं दम-ए-वापसीं से हम
इश्क़ जो ना-गहाँ नहीं होता
फ़राहम जिस क़दर इशरत के सामाँ होते जाते हैं
बैठा नहीं हूँ साया-ए-दीवार देख कर
अब इश्क़ रहा न वो जुनूँ है