सफाई Poetry

ज़ुहर-ए-आशिक़ी से डरता हूँ

दाऊद मोहसिन

दिन ऐसे यूँ तो आए ही कब थे जो रास थे

ज़ुहूर नज़र

जबीं से नाख़ुन-ए-पा तक दिखाई क्यूँ नहीं देता

ज़ुबैर शिफ़ाई

यूँ भी होता है ख़ानदान में क्या

ज़ाहिद मसूद

हँसी में हक़ जता कर घर-जमाई छीन लेता है

ज़फ़र कमाली

लबों से आश्नाई दे रहा है

यशब तमन्ना

आप अपनी बेवफ़ाई देखिए

वज़ीर अली सबा लखनवी

उस बुत ने गुलाबी जो उठा मुँह से लगाई

वलीउल्लाह मुहिब

मंदिर भी साफ़ हम ने किए मस्जिदें भी पाक

तिलोकचंद महरूम

दस्त-ए-ख़िरद से पर्दा-कुशाई न हो सकी

तिलोकचंद महरूम

न तुम मिले थे तो दुनिया चराग़-पा भी न थी

तारिक़ क़मर

जान के एवज़

तनवीर अंजुम

इक रेल के सफ़र की तस्वीर खींचता हूँ

सय्यद ज़मीर जाफ़री

ज़ेब उस को ये आशोब-ए-गदाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़

गंगा जी

सुरूर जहानाबादी

आईना देखना

सूरज नारायण मेहर

काफ़िरी में भी जो चाहत होगी

सिराज लखनवी

जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ

शुजा ख़ावर

नाला इस शोर से क्यूँ मेरा दुहाई देता

ज़ौक़

तू सुब्ह-दम न नहा बे-हिजाब दरिया में

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मैं कहाँ तक तुझे सफ़ाई दूँ

शाहिद कमाल

मिल बैठने ये दे है फ़लक एक दम कहाँ

शाह नसीर

पास उस बुत के जो ग़ैर आ के कोई बैठ गया

शाद लखनवी

मुझ को हर लम्हा नई एक कहानी देगा

साहिबा शहरयार

हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई होती रहती है

रूही कंजाही

सत्‌ह-बीं थे सब, रहे बाहर की काई देखते

रियाज़ मजीद

दिल जिस से काँपता है वो साअत भी आएगी

राशिद मुफ़्ती

जब नज़र उस ने मिलाई होगी

रशीद रामपुरी

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

किस तरह पर ऐसे बद-ख़ू से सफ़ाई कीजिए

रजब अली बेग सुरूर

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