गंगा जी

ओ पाक नाज़नीं ओ फूलों के गहने वाली

सरसब्ज़ वादियों के दामन में बहने वाली

ओ नाज़-आफ़रीं ओ सिद्क़ ओ सफ़ा की देवी

ओ इफ़्फ़त-ए-मुजस्सम पर्बत की रहने वाली

सल्ले-अला ये तेरी मौजों का गुनगुनाना

वहदत का ये तराना ओ चुप न रहने वाली

हुस्न-ए-ग़यूर तेरा है बे-नियाज़ हस्ती

तू बहर-ए-मारेफ़त है ओ पाक-बाज़ हस्ती

हाँ तुझ को जुस्तुजू है किस बहर-ए-बे-कराँ की

हम पर तो कुछ हक़ीक़त खुलती नहीं जहाँ की

ऐ पर्दा-सोज़-ए-इम्काँ ऐ जल्वा-रेज़-ए-इरफ़ाँ

तू शम-ए-अंजुमन है किस बज़्म-ए-दास्ताँ की

क्यूँ जादा-ए-तलब में फिरती कशाँ कशाँ है

तुझ को तलाश है किस गुम-गश्ता कारवाँ की

जाती है तू कहाँ को आती है तू कहाँ से

दिल-बस्तगी है तुझ को किस बहर-ए-बे-निशाँ से

(893) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Suroor Jahanabadi. is written by Suroor Jahanabadi. Complete Poem in Hindi by Suroor Jahanabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.