सती

ऐ सती ऐ जल्वा-गाह-ए-शोला-ए-तनवीर-ए-हुस्न

पाक-दामानी का नक़्शा है तिरी तस्वीर-ए-हुस्न

ये तन-ए-नाज़ुक तिरा ये शोला-हा-ए-आतशीं

ये चिता की आतिश-ए-सोज़ाँ ये जिस्म-ए-नाज़नीं

साइक़ा है बर्क़ का तेरे दिल-ए-मुज़्तर की आग

फूँक देती है तुझे सोज़-ए-ग़म-ए-शौहर की आग

ख़ाक हो कर भी तिरे दाग़-ए-जिगर बुझते नहीं

आह तेरी राख के बरसों शरर बुझते नहीं

हिन्द को है नाज़ तेरी हिम्मत-ए-मर्दाना पर

तू चराग़-ए-कुश्ता है ख़ाकिस्तर-ए-परवाना पर

आग में है तू सपिंद-ए-शौक़ जलने के लिए

शम-ए-मातम है शब-ए-ग़म में पिघलने के लिए

गर्मी-ए-हंगामा-ए-महशर तिरी महफ़िल में है

सर्द जो होती नहीं वो आग तेरे दिल में है

कब गवारा आह है सोज़-ए-ग़म-ए-शौहर तुझे

है हर इक तार-ए-नफ़स इक शोला-ए-मुज़्तर तुझे

उफ़ री शौहर की चिता पर शोला-अफ़्रोज़ी तिरी

जीते-जी सोज़-ए-मोहब्बत में जिगर-सोज़ी तिरी

जाँ-गुदाज़ी की अदा ये शम-ए-महफ़िल में कहाँ

गर्मी-ए-सोज़-ए-वफ़ा ये शम-ए-महफ़िल में कहाँ

वो चिता की आतिश-ए-जाँ-सोज़ वो दूद-ए-सियाह

शौहर-ए-मुर्दा का सर वो ज़ानू-ए-नाज़ुक पे आह

आग के वो हाए शोले और वो मुखड़ा चाँद सा

लब पे कम कम शोख़ी-ए-बर्क़-ए-तबस्सुम की अदा

हल्का फुल्का जिस्म-ए-नाज़ुक पर दुपट्टा सुर्ख़ सुर्ख़

वस्ल-ए-रूहानी की शादी से वो चेहरा सुर्ख़ सुर्ख़

आलम-ए-दूद-ए-सियह वो ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-फ़ाम में

दौड़ने वाले वो शोले हल्क़ा-हा-ए-दाम में

आतिश-ए-सोज़ाँ में भी वो आह शौहर का ख़याल

और वो दिल में गर्मी-ए-हंगामा-ए-शौक़-ए-विसाल

जल के सोज़-ए-इज़्तिराब-ए-शौक़ में परवाना-वार

ख़ुल्द में शौहर से होना उफ़ वो ख़ुश ख़ुश हम-कनार

डाल देना वो गले में हँस के बाँहें प्यार से

दिल लुभा लेना अदा-ए-शेव-ए-गुफ़्तार से

हल्की हल्की चाँदनी कैफ़ियत-ए-गुल-गश्त-ए-बाग़

वो लब-ए-जू आह हुस्न ओ इश्क़ के दो शब चराग़

तुझ पे ऐ नाज़-आफ़रीं शौहर-परस्ती ख़त्म है

इक शरार-ए-आरज़ू में तेरी हस्ती ख़त्म है

(628) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Suroor Jahanabadi. is written by Suroor Jahanabadi. Complete Poem in Hindi by Suroor Jahanabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.